मीटू मामले में एक्टिविस्ट बरखा त्रेहन ने कहा – हैंग द फोर्स्ड एक्यूजर
मुंबई। पीड़ित पुरुषों के हक़ की लड़ाई लड़ने वाली दिल्ली की युवा समाज सेविका बरखा त्रेहन ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में ‘मीटू’ प्रकरण में उन लोगों की जमकर लताड़ लगाई, जो गलत तरीके से मर्दों पर मीटू का आरोप लगाती हैं। बरखा ने ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर और हैदर काजमी के मामले को लेकर उन्होंने कहा कि ये समझना जरूरी है कि पुरूषों और महिलाओं के लिए एक समान कानून की जरूरत है। मी टू में कई केसेज ऐसे हैं, जो झूठे साबित हुए हैं। इन पर रोक लगाने के लिए ऐसे लोगों के कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जैसे रेप के लिए फांसी की मांग की जाती है, उसी प्रकार से फोर्स्ड एक्यूजर को भी हैंग करने की जरूरत है। तभी मी टू का दुरूपयोग होना बंद होगा।
बरखा इससे पहले पुरुष आयोग की मांग कर चुकी हैं और लंबे समय से पुरुषों के अधिकार और पुरुष आयोग की मांग करती रहती हैं। इसी क्रम में आज उन्होंने अपनी राय बेबाकी से मुंबई में रखी और कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि समाज पितृसत्ता वाला है, जहां पुरूषों की मोनोपॉली है। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर सिर्फ समाज सिर्फ मर्दो का होता तो यहां महिलाओं की सुरक्षा वाले कानून ही नहीं बनते। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से मी टू का आरोप लगने से पुरूषों पर कई तरह के प्रेशर बनते हैं, जिससे वे सुसाइड की ओर भी जा सकते हैं। क्योंकि ये ऐसा मामला है, जिसने पुरूषों की हैसियत तीसरे स्थान वाली बना देता है। उनकी कोई सुनता भी नहीं है और उन पर कोई विश्वास भी नहीं करता है। इसलिए मेरा मानना है कि ऐसे मामलों में गलत ढ़ग आरोप लगाने वालों को भी फांसी चढ़ाया जाय। तभी ऐसे मामले रूकेंगे।
उन्होंने कहा कि ये दुखद है कि ऐसे मामले में पुरूष की कोई नहीं सुनता। आरोप की सुनवाई कोर्ट में होनी होती है, लेकिन कोर्ट सिर्फ तारीख देता है। ऐसे में झूठे आरोप से पीडि़त पुरूष को काफी ह्यूमिलिएट होना पड़ता है। कोर्ट में 10 साल बाद फैसला आता है, तब तक उसकी फैमली, करियर और डिगनिटी खत्म हो जाती है। ऐसे में इसका जिम्मेवार कौन होगा। उन्होंने कहा कि अगर बिना किसी जुर्म के पुरूषों को जेल में डाल दिया जायेगा, तो क्या होगा देश का। नाना पाटेकर का मामला देखिये कि मी टू मुंबई पुलिस ने क्लीन चिट दिया, फिर भी कह रहे हैं कि सब गलत है। झूठे केस में फंसाने की वजह से उनकी मंशा फ्लॉप हो गई। नाना पाटेकर के साथ ऐसा करने की वजह से उनके करियर को नुकसान हुआ। इसलिए मेरा मानना है कि पुरूषों पर अत्याचार के लिए भी कानून बने।
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